My second attempt at Hindi Writing on NSEL scam.
13000 निर्दोष परिवार लूट रावण आज भी इतराता है,
लाखो दुर्वचन मिलने पर भी ना अल्पतम शरमाता है
परधन लूट अब भी धूर्त किंचित ना घबराता है
परपीडन और प्रपंच मे सुख अतिशय वो पाता है
छल, धोखा, झूठ ,प्रवंचना से उसका बहुत करीबी नाता है
अपने हाथो मूर्ख आखिर अपने ही घर मे आग लगाता है
अपने राजनीतिक संकर्पो पर सदैव वो मदमाता है
भूल गया जीवन का क्रम तो कभी ज्वार तो कभी भाटा है
जब जब महा विनाश मनुष्य पर आ छाता है
अपना अंधकारमय भविष्य वो कभी ना देख पाता है
सत्य न्याय और निष्ठा पर कदाचित असत्य छा जाता है
किन्तु हर कोई मानव अन्तमे अपनी करिनी का फल पाता है
गरिबोका दिया अभिशाप लेकिन कभी न खाली जाता है
मृत पशु के चर्म से तो लोहा भी भसम हो जाता है
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